हरिहरपुरी के दोहे
हरिहरपुरी के दोहे
जागत-सोवत हर समय, रख दुनिया का ख्याल।
आँखों में पानी रहे, जानो सबका हाल।।
रोना दुखियों के लिये, बन सहयोगी नित्य।
भरसक सेवा भाव से, बनो दीप्त आदित्य।।
चमको सूरज की तरह, अक्ष स्वयं पर घूम।
सारी ऊर्जा सौंप कर,जग के दिल को चूम।।
मानवता के मंत्र का, करते रहना जाप।
मन से घूमो विश्व में, एक निमिष में माप।।
स्थापित करना जगत को, अपने मन में आप।
मन में हो शुभ कामना, जग को ग्रसे न ताप।।
उत्तम इच्छायें बसें, हरें शोक-संताप।
मन-गृह में आये नहीं, कभी पाप का बाप।।
मृदुल स्वभावों से करो, मानव का अभिषेक।
सारी जड़ता त्याग कर, जागृत करो विवेक।।
रहो शून्य में सूक्ष्म सा, सकल लोक में नाच।
पोथी पढ़ कर प्रेम की, सकल धरा पर वाच।।
बनते क्यों नहिं राम हो, कर सच्चे से स्नेह।
सेबरी के घर को समझ, अपना असली गेह।।
जीना सीखो मित्रवत, मित्र सहज अनमोल।
सबके उर में बैठकर, मधुर रसायन घोल।।
स्वर्ग बने जीवन सकल, छोड़ दंभ-अभिमान।
अवधपुरी का राम बन, मार असुर-शैतान।।
Muskan khan
09-Jan-2023 06:10 PM
Nice
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Sushi saxena
08-Jan-2023 08:22 PM
👌👌👌
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